Jangali darakhton ke darmiyan lyrics

1 . { जंगली दरख्तों के दर्मियान,
  एक सेब के पेड़ के समान, } – 2
  { नज़र आता है मुझे ऐ मसीह,
सारे सन्तों के बीच में तू } – 2

को.  हम्द करूँ, तेरी ऐ प्रभु,
 अपने जीवन भर इस जंगल के सफर में,
 गाऊँ शुक्र गुजारी से मैं
 – 2

2 . { तू ही है नर्गिस खास शारोन का,
 हाँ तू सोसने की वादियों का, } – 2
{  सन्तों में तू है अति पवित्र,
  कैसा कामिल और शान से भरा } – 2

3 . {   इत्र के समान है तेरा नाम,
  खुशबू फैलाता है जहाँन में, } – 2
{  तंगी, मुसीबत और बदनामी में,
 बनूँ खुशबूदार तेरे समान } – 2

4 . { घबराहट की लहरों से गर,
  डूबूँ दुःख के सागर में, } – 2
  { अपने ज़ोरावर हाथ को बढ़ा,
  मुझे अपने सीने से लगा } – 2

5 . { अभी आ रहा हूँ तेरे पास,
  पूरी करने को तेरी मर्ज़ी, } – 2
  { ताकि दे दूँ मैं काम को अंजाम,
  पाऊँ तेरे दीदार में ईनाम। } – 2

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