मनोवा रे ….
करलेउ तीन भावना
को0 . चाइर दिन केर जिन्दगानी हैं
सेहो न कभी अपना
मनोवा रे … – 2
1 . { जाइत पाइत बड़ छोट केर भेद भावना
छुआ – छूत ऊँच – नीच , केर डींग हंकैना } -2
रौर हेके मनवा , सेके भुलाना – 2
मानुख जनम गंवाना -2
मनोवा रे …..
2 . { जे घर से माए , बाप गुरूख मान घटी गेल
से घर से ईश्वर हो उठी चली गेल } -2
[ काहे ऐसन भावना अरे मुरख मनवा ] -2
वृथा हैं स्वग सपना – 2
मनोवा रे …..